Gemstones
According to Indian Vedic Astrology Gemstones are representatives of a particular planet and wearing the planet’s gemstone will attract positive vibration of that planet. People wear gems for strengthening various planets and for propitiation purposes. The first Vedic proof or text that’s refers gems is Hora Sara by Varahamihira.
रत्नों में मुख्यतः नौ ही रत्न ज्यादा पहने जाते हैं। सूर्य के लिए माणिक, चन्द्र के लिए मोती, मंगल के लिए मूँगा, बुध के लिए पन्ना, गुरु के लिए पुखराज, शुक्र के लिए हीरा, शनि के लिए नीलम, राहु के लिए गोमेद, केतु के लिए लहसुनियाँ। रत्न धारण करते समय कुछ सावधानियों का ख्याल रखना आवश्यक होता है. जिस ग्रह की दशा अन्तर्दशा के समय अशुभ प्रभाव मिल रहा हो उस ग्रह से सम्बन्धित रत्न पहनना शुभ फलदायी नहीं होता है. इस स्थिति में इस ग्रह के मित्र ग्रह का रत्न एवं लग्नेश का रत्न धारण करना लाभप्रद होता है. रत्न की शुद्धता की जांच करवाकर ही धारण करना चाहिए धब्बेदार और दरारों वाले रत्न भी शुभफलदायी नहीं होते हैं.
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Diamond (Heera) :- नव रत्न में हीरा भी होता है और इसे नौ रत्नों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। हीरा शुक्र ग्रह का रत्न है। हीरा एक प्रकार का बहुमूल्य रत्न है जो बहुत चमकदार और बहुत कठोर होता है। यह भी कई रंगों में पाया जाता है, जैसे- सफ़ेद, पीला, गुलाबी, नीला, लाल, काला आदि। इसे गुरु की उँगली तर्जनी में पहनते हैं, क्योंकि तर्जनी उँगली के ठीक नीचे शुक्र पर्वत होता है। शुक्र के अशुभ प्रभाव को नष्ट कर शुभ फल हेतु हीरा पहनते हैं। शुक्र रत्न हीरा धारण करने से पहले अनुभवी ज्योतिष की सलाह अवश्य लें अन्यथा अशुभ होने की स्थिति में यह फायदा देने की बजाय नुक्सान दे सकता है ! |
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Blue Sapphire (Neelam) :- नीलम शनि के शुभ फल देने में सहायक होता है, यह अक्सर लोहे के व्यवसायी, प्रशासनिक व्यक्ति, राजनेता भी पहने देखे जा सकते है। इसके बारे में यह कहावत है कि यह रत्न तुरन्त फलदायी होता है व इसका शुभ या अशुभ परिणाम शीध्र देने में सक्षम हैं। मध्यमा में नीलम धारण करते है व इसके अलावा कोई भी रत्न नहीं पहनना चाहिए अन्यथा शुभ परिणाम नहीं मिलते। इस उँगली पर ही आकर भाग्य रेखा खत्म होती है जिनकी भाग्य रेखा न हो वे किसी जानकार से सलाह लेकर नीलम पहन कर लाभ पा सकते हैं। बगैर किसी जानकार की सलाह के न पहनें । |
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Yellow Sapphire (PukhRaj) :- पुखराज तर्जनी में ही क्यों पहनने की सलाह देते हैं? - क्योंकि कोई भी व्यक्ति धमकी, निर्देश आदि देता है तो इसी उँगली से देता है। यही उँगली लड़ाई का भी कारण बनती है, तो होशियार करने के लिए भी काम आती है। इसलिए गुरु का रत्न पुखराज पहनने की सलाह दी जाती है। पुखराज पहनने से उस जातक में गंभीरता आती है। साथ ही वह अन्याय के प्रति सजग हो जाता है। यह धर्म-कर्म में भी आस्था जगाता है। गुरु का प्रभाव बढ़ाने और उसके अशुभ प्रभाव को खत्म करने के लिए पुखराज पहना जाता है। पुखराज के साथ माणिक पहना जाए तो अति शुभ फल भी मिल सकते हैं। |
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Emerald (Panna) :- कनिष्का उँगली में पन्ना पहना जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार पन्ना, बुद्ध गृह का प्रतिनिधित्व करता है ! उच्च कोटि का पन्ना जाम्बिया तथा स्कॉट्लैंड की खानों से निकला जाता है ! यदि कुंडली में बुध ग्रह शुभ प्रभाव में हो तो पन्ना अवश्य धारण करना चाहिए ! पन्ना धारण करने से दिमाग की कार्य क्षमता तीव्र हो जाती है और जातक पढ़ाई , लिखाई, व्यापार जैसे कार्यो में सफलता प्राप्त करता है! विधार्थियों को अपनी कुंडली का निरिक्षण किसी अच्छे ज्योतिषी से करवाकर पन्ना अवश्य धारण करना चाहिए क्योकि हमारे शैक्षिक जीवन में बुध ग्रह की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है ! |
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Ruby (Manik) :- माणिक अनामिका में पहना जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार माणिक्य रत्न, सूर्य का प्रतिनिधित्व करता है! इस रत्न पर सूर्य का स्वामित्व है! यह लाल या हलके गुलाबी रंग का होता है! यह एक मुल्वान रत्न होता है, यदि जातक की कुंडली में सूर्य शुभ प्रभाव में होता है तो माणिक्य रत्न धारण करना चाहिए, इसके धारण करने से धारण करता को अच्छे स्वास्थ्य के साथ साथ पद-प्रतिष्ठा, अधिकारीयों से लाभ प्राप्त होता है! शत्रु से सुरक्षा, ऋण मुक्ति, एवं आत्म स्वतंत्रता प्रदान होती है! सत्ता और राजनीती से जुड़े लोगो को माणिक्य अवश्य धारण करना चाहिए क्योकि यह रत्न सत्ता धारियों को एक उचे पद तक पहुचाने में बहुत सहायता कर सकता है! |
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Cat's Eye (Lahsuniya) :- लहसुनियाँ रत्न तर्जनी में पहनना चाहिए क्योंकि गुरु की राशि धनु में उच्च का होता है। यह ऊँचाइयाँ प्रदान करता है व शत्रुहन्ता होता है। इस रत्न को हीरे के साथ कभी भी नहीं पहनना चाहिए, क्योंकि इससे बार-बार दुर्घटना के योग बनता रहेगा। विधिपूर्वक लह्सनिया धारण करने से भूत प्रेतादि की बाधा नहीं रहती है! सन्तान सुख, धन की वृद्धि एवं शत्रु व रोग नाश में सहायता प्रदान करता है! यह दिमागी परेषानियां शारीरिक दुर्बलता, दुख, दरिद्रता, भूत आदि सू छुटकारा दिलाता है। लहसुनिया यदि अनुकूल हो तो यह धन दौलत में तीव्र गति से वृद्धि करता है। आकस्मित दुर्घटना, गुप्त शत्रु से भी रक्षा करता है। इसे धारण करने से रात्रि में भयानक स्वप्न नहीं आते है। किसी अच्छे ज्योतिषी से सलाह लेकर ही धारण करना चाहिए. |
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Pearl (Moti) :- मोती कनिष्टिका ऊँगली में पहना जाता है ! वैदिक ज्योतिष के अनुसार मोती, चन्द्र गृह का प्रतिनिधित्व करता है! कुंडली में यदि चंद्र शुभ प्रभाव में हो तो मोती अवश्य धारण करना चाहिए ! चन्द्र मनुष्य के मन को दर्शाता है, और इसका प्रभाव पूर्णतया हमारी सोच पर पड़ता है! हमारे मन की स्थिरता को कायम रखने में मोती अत्यंत लाभ दायक सिद्ध होता है! इसके धारण करने से मात्री पक्ष से मधुर सम्बन्ध तथा लाभ प्राप्त होते है! मोती धारण करने से आत्म विश्वास में बढहोतरी भी होती है ! अनुभवी ज्योतिष की सलाह लेना अति आवशयक है, क्योकि कुंडली में चंद्र अशुभ होने की स्तिथि में मोती नुक्सान दायक भी हो सकता है! |
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Coral (Moonga) :- मुंगा रत्न अनामिका में धारण करे | वैदिक ज्योतिष के अनुसार मुंगा रत्न मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है! यदि जन्म कुंडली में मंगल अच्छे प्रभाव दे रहा हो तो मुंगा अवश्य धारण करना चाहिए ! कुंडली में मंगल कमज़ोर होने की स्थिति में मुंगा धारण करने से उसे बल दिया जा सकता है! मुंगा धारण करने से हमारे पराक्रम में वृद्धि होती है आलस्य में कमी आती है! मुंगा कुंडली में स्थित मांगलिक योग की अशुभता में भी कमी लता है तथा इस योग के द्वारा होने वाली हानियों को ख़त्म करता है | अदि आप में साहस की कमी और शत्रुओं से सामना करने की हिम्मत नहीं है तो इसमें मुंगा आपकी सहायता कर सकता है| लेकिन सभी जातक को मुंगा धारण करने से पहले किसी अच्छे और अनुभवी ज्योतिष आचार्य की सलाह अवश्य लेनी चाहिए! |
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Hessonite (Gomed) :- राहु का रत्न गोमेद कनिष्का में पहनना चाहिए क्योंकि मिथुन राशि में उच्च का होने से बुध की उँगली कनिष्का में पहनना शुभ फलदायी रहता है। विधिपूर्वक गोमेद धारण करने से अनेक प्रकार की बीमारियाँ नष्ट होती है, धन- सम्पति – सुख, सन्तान वृद्धि, वकालत व राजपक्ष आदि की उन्नति के लिए अत्यन्त लाभकारी है! जिनकी जन्म कुण्डली में राहु 1,4,7,9,10 वें भाव में हो, उन्हें गोमेद रत्न पहनना चहिए! मकर लग्न वालो के लिए गोमेद शुभ होता है! गोमेद एक ऐसा रत्न है जो नज़र की बाधाओं, भूत-प्रेत एवं जादू-टोने से भी सुरक्षा प्रदान करता है. गोमेद में इतनी सारी खूबियां हैं जिनसे व्यक्ति के जीवन की बहुत सी मुश्किलें दूर हो सकती हैं. लेकिन इसे किसी अच्छे ज्योतिषी से सलाह लेकर धारण करना चाहिए. |
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बिमलेश कुमार जी के लगभग 500 से अधिक लेख वास्तु शास्त्र पर विभिन्न पत्र, पत्रिकाओं व अख़बारों में प्रकाशित हो चुके हैं | एवं विभिन्न टेलिविज़न चैनलों पर हजारों प्रोग्राम दे चुके हैं |
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